दुनिया की किसी भी अक्षर माला को अगर हम देखें, तो वो शब्द जिसका अर्थ हर भाषा में एक ही है वो है -" माँ "
अद्भुत कृति परमात्मा की, जो माँ के रूप में पाई है,
सामने हो या ना हो ,पर सदा ही वो दिल में समाई है .
किसी मोड़ पर जब भी मैंने ,थोड़ी ठोकर खाई है,
एक वो ही तो थी जिसकी आँखें भर भर आई है.
बचपन की यादों ने, जब भी दिल पर दस्तक दी ,
या फिर मेरे अल्हड मन में ,कोई शरारत ही पली,
तितली तू मेरे आँगन की,ऐसा ही वो कहती थी,
तू रहे झूमती ,मदमस्त हवा सी ,
तब भी ,जब फूल बन जाएगी ये कली.
तेरे साये में ही जाना की,ममता कैसी होती है ,
कभी सख्त सख्त,कभी नरम नरम बस तेरे जैसी होती है .
तेरी ही द्रढ़ता ने मुझको दिशा सही है दिखलाई,
जिसके बल पर,नदी सी बहती ,मैं इतनी दूर निकल आई.
मन को देखो चंचल कितना, जब हठ पर आ जाता है,
"माँ" तेरे आँचल में आने, को ही ये तरसाता है,
कितना भी समझाऊँ इसे की, ज़िद्द अच्छी ना होती है,
बाल सुलभ सा उत्तर देता,"माँ" की गोद ही तो सबसे भली होती है.
बाल सुलभ सा उत्तर देता,"माँ" की गोद ही तो सबसे भली होती है.
एक बार बेटा कहकर जैसे ही तू सहलाती है,
हर स्पर्श यही पूछे की ऐसा सुकून कहीं होता है ?
तिनका भी चुभ जाये मुझे तो,दर्द तुझे ही होता है ,
विस्मित करती यही बात ,की ममता का रिश्ता ही ऐसा होता है.
लाड़ ,दुलार को परिभाषित करने की अब तो वजह नहीं होती है ,
विस्मित करती यही बात ,की ममता का रिश्ता ही ऐसा होता है.
लाड़ ,दुलार को परिभाषित करने की अब तो वजह नहीं होती है ,
क्यूंकि उसकी सीरत तो सिर्फ "माँ" के जैसी होती है ;
बस "माँ"ऐसी ही होती है ;हाँ तेरे जैसी होती है .
बस "माँ"ऐसी ही होती है ;हाँ तेरे जैसी होती है .
2 comments:
Awesome.. Excellent...superb..beautiful poem to celebrate mother's day.
really beautifull...wonderfull feeling...
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