Tuesday, May 3, 2011

दिलजले

मुस्कराने को कहा तो,चेहरा फिराये बैठ गए ,
ऐ दोस्त इतना तो बता दे ,की ये तकरार क्या है ?
मैंने तो मन से निभाया ,तेरी हर एक रस्म को ,
तू इसे भी ख़ता समझे ,तो इतना बता दे प्यार क्या है ?
दिल से लगा के रखा है ,तेरे हर ख्याल को,
दीवानगी भी रास ना आई तुझे ,फिर भी ये  एहसास क्या है ?
पास रहने का जो वादा, किया था तूने कभी ,
अब आप ही ये पूछते हैं, की उम्र भर का साथ क्या है?
हर ज़र्रे ने देखा है ,मेरे जूनून को तेरे लिए ,
उस पर भी सब यही पूछे ,की मेरी औकात क्या है ?
बेरुखी भी है मुझे मंजूर ,पर फिर भी आँख भर आई है ,
बस तू इतना ही बता दे, की इसका सबब  क्या है ?
पीता तो पहले भी मैं था,पर वो प्याले और थे ,
मुफलिसी में पी तो जाना, की इसका अंजाम क्या है?
तन्हा ही चला हूँ ,अब ज़िन्दगी की राह में, 
दिलजला कहे की भोर है ये ,तो आप ही बता दें की फिर शाम क्या है?








1 comment:

Raji said...

Love the title...too good. Your profile description is also awesome. keep writing beautiful poems :)

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