ओ कान्हा,तुम आओ अब दुःख हरने,
हर मन में ,बस प्रेम उमंग ही भरने ,
बीते बहुत बरस हैं देखो,एक ही विश्वास में,
की आओगे तुम, रीत अमर ये करने.
ओ कान्हा ,तुम आओ अब दुःख हरने.
ओ कान्हा ,तुम आओ अब दुःख हरने.
रसभरी राधा ने तुम पर,जो प्रीत का रंग चढ़ाया है,
रहे कहीं भी तुम प्रभु पर,साथ उसी का सुहाया है.
मीरा की हरि भक्ति ने,सबको ये दिखला दिया,
कि आते हो सदा तुम,हाँ प्रीत की रीत निभाने.
ओ कान्हा,तुम आओ अब दुःख हरने,
हर मन में,बस प्रेम उमंग ही भरने.......
केशव तुम सा बन्धु पाकर,फिर क्या पाना होता है,
जो तुम पास नहीं तो फिर ,पाना भी खोना होता है ,
पार्थ,द्रौपदी और सुदामा सब ने ये चरितार्थ किया,
की मित्र तो बस तुम हो, जो आते हर धर्म निभाने .
ओ कान्हा,तुम आओ अब दुःख हरने,
हर मन में ,बस प्रेम उमंग ही भरने ...........
इस युग में तो प्रभु माया ने गहरा जाल बिछाया है,
हर रिश्ते नाते को बस सौदे से ही भरमाया है,
फिर अवतार को धर के माधव, मानवता की नींव रखो,
हाँ आना होगा तुमको ,फिर से एक अलख जगाने .
ओ कान्हा,तुम आओ अब दुःख हरने,
हर मन में ,बस प्रेम उमंग ही भरने.