Thursday, April 28, 2011

ख्वाब


कमाल की चीज़ हैं आँखें हमारी ,जो सपने देखती हैं ,
एक पल में देखो , तो सारी दुनिया बदल जाती है.
कभी हम बच्चे बन जाते हैं, और वही चुहलबाजी शुरू हो जाती है,
तो कहीं हिमालय सी ऊँचाईयाँ भी, बहुत छोटी नज़र आती हैं.
कभी परियों के जहाँ में झूले झूलते हैं,तो कभी आसमां से भी ऊपर आ जाते हैं ,
कैसे सूरज एक गेंद बन जाता है ,और तारे ,उन्हें तो हम अपनी चोटियों में पिरोते हैं.
क्या समा होता है, जब वो सब पा जाते हैं,
जिन्हें की खुली पलकों से पाने की ख्वाहिश होती है 
नींद खुली तो मन जी जी उठता है, और सूरज की लाली पथ को रोशन करती है ,
कितना आसां हो जाता है,सफ़र मंज़िल का ,
जब सपनों से ही सही ,हमें रास्ते की टोह तो होती है.
हर मंज़र एहसास दिलाता यही, की , मैं ,जाना पहचाना हूँ ,
और दृढ़ हो जाते होंसले , कोई शिकन ना होती है 
सारे भ्रम मिट जाते हैं और हम आगे बढ़ते जाते हैं.  
ख्वाब हमारे जीवन को बेशक ही महकाते हैं.
इस  जादू को शब्दों में पिरोये "अंचल" , इतना हुनर कहाँ,
साकार "ख्वाब" ही तो हैं ,जो,  इंसान की शख्सियत बनाते हैं .








2 comments:

Raji said...

Wah Wah...very well written poem..deep thoughts nicely formed in words. Keep rocking!!!

Anchal said...

Thank you ji ........love the way you appreciate,need it sweety ,thanks again.

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