Sunday, April 24, 2011

दोस्ती

दोस्त -कितनी गहराई है इस शब्द में,
ये हम जीवन के हर पग में जान लेते हैं,
एक दोस्त ही की तो ज़रुरत होती है सबको,
जो हमारे सुख दुःख सब बाँट लेते हैं
रंगों से शायद कुछ लोग परहेज़ करें ,
पर दोस्ती के रंग में तो हर कोई रंग जाता है,
खट्टे मीठे अनुभवों के साथ , ज़िन्दगी का ये सफ़र,
यूँ ही हँसते खेलते निकल जाता है.
हम खिलखिला उठते हैं, जुबां चहचहा उठती है,
और दिल का क्या है जी ,वो एक बार फिर बच्चा बन जाता है.
दोस्तों की कोई परिकल्पना नहीं होती, या तो वो होते हैं या नहीं,
हर एक पल को ख़ास बना कर ,एहसास दिलाते हैं वो यही,
की दोस्ती का खुमार ज्यादा है,सूरज की रोशिनी और सागर की गहराई से,
हर कोहिनूर की चमक फीकी है, ऐसे दोस्तों की दरियादिली से .

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