हर लड़की इस एक जगह पर सदा परी ही होती है,
बस पापा का घर होता है जहाँ वो गुडिया ही होती है,
कितने भी रिश्तों में बंध ले, चाहे खुद माँ भी बन जाए,
पर अपने प्यारे पापा की वो राजकुमारी ही होती है.
पापा ही होते हैं जो बात बात पर बहलाते,
नखरे अपनी लाड़ली के पलकों पर हैं सजाते,
कभी खेल में खुद बच्चे बन जाते ,
तो कभी मार्ग दर्शक बन मंज़िल की राह बताते.
वो उनके कंधो पर बैठकर मेले में घूमना,
या फिर स्कूटर पर आगे खड़े होना,
उनका ये पूछना की ,मज़ा आया ,
उस पर मेरा ये कहना की एक बार और ना;
ऐसा लगता है मानो सब कल की ही बातें हो ,
पर एक दशक है बीता जैसे जाने कब की ये बातें हों.
समय की धारा में जाने कब कहाँ बचपन बहा,
अब सोचो तो लगता की हर पल ही कितना अनमोल था.
मन भी कितना अल्हड़ होता,कैसी कैसी जिद्द करता था ,
पापा सब पूरा कर देंगे,जानता था, इसलिए तो इतना निडर था,समय की धारा में जाने कब कहाँ बचपन बहा,
अब सोचो तो लगता की हर पल ही कितना अनमोल था.
कितना निर्मल स्नेह है उनका,कितनी निश्छल उसकी छाया,
ये उनके ही संस्कार हैं जो मेरा व्यक्तित्व निखर पाया,
शीश झुकाती जब समक्ष इष्ट के वरदान यही हूँ माँगा करती, माता-पिता तुम्ही हो मेरे चाहे फिर जन्मों की हो ये प्रवत्ति.
3 comments:
superb.........
Lovely Anchal..very beautiful.
@ Rajni .....Thanks a lot
@ Raji .........Thanks dear
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