रिश्ते तो उस मासूम सी कली की तरह होते हैं,
जिन्हें प्यार और विश्वास से सींचो, तभी फूल बनते हैं,
इन्ही में जीवन की सार्थकता छिपी होती है,
बेशक ,ये डोर बहुत ही नाज़ुक होती है .
कभी तो मन किसे अपना कहे, इस पर भी विचलित रहता है,
और कहीं,किसी अजनबी से, एक मुलाकात में ही कोई नाता बनता है,
कैसी अनोखी है,ये मन की दास्ताँ भी,
किसी को दिल के करीब कर लेता है और कोई अपना भी पराया होता है.
कोई भी रिश्ता कितना गहरा है, इसका मापदंड तय नहीं होता है,
पर फिर भी कहते हैं ,की दर्द का रिश्ता सबसे अटूट होता है,
अगर रौनकें हैं दर पे,तब तो अनजान भी अपने होते हैं,
वो जो दुःख के हलके से एहसास में भी आपके साथ हो,सच्चा हमदर्द होता है.
दुनिया में रिश्ते दिखावे के लिए भी होते हैं,
कुछ सहूलियत के लिए और कुछ सिर्फ बताने के लिए भी होते है,
बहुत जटिल है रिश्तों से जुड़े अपनेपन को समझ पाना,
क्यूंकि ये कनक की तरह अग्नि में तपकर ही खरे होते हैं.
अजीब संयोग है की रिश्ते जो हमारे जीवन में रस भरते हैं,
हम उसे चखने तक से डरते हैं,
इनकी अहमियत तो इस बाँवरे मन को तब समझ आती है ,
जब उस रिश्ते की नींव ही हिल जाती है.
थोड़ी मिठास थोड़े भुलावे से रिश्तों को निभाते चलो,
तुम सबसे और सब तुमसे ना होंगे इतना स्वयं को समझाते चलो,
जीवन के राग को गुनगुनाने के लिए,रिश्तों की ज़रुरत होती है,
छोटी सी बात ये जान लो और इस दुर्गम पथ पर मुस्कराते चलो.
वो जो दुःख के हलके से एहसास में भी आपके साथ हो,सच्चा हमदर्द होता है.
दुनिया में रिश्ते दिखावे के लिए भी होते हैं,
कुछ सहूलियत के लिए और कुछ सिर्फ बताने के लिए भी होते है,
बहुत जटिल है रिश्तों से जुड़े अपनेपन को समझ पाना,
क्यूंकि ये कनक की तरह अग्नि में तपकर ही खरे होते हैं.
अजीब संयोग है की रिश्ते जो हमारे जीवन में रस भरते हैं,
हम उसे चखने तक से डरते हैं,
इनकी अहमियत तो इस बाँवरे मन को तब समझ आती है ,
जब उस रिश्ते की नींव ही हिल जाती है.
थोड़ी मिठास थोड़े भुलावे से रिश्तों को निभाते चलो,
तुम सबसे और सब तुमसे ना होंगे इतना स्वयं को समझाते चलो,
जीवन के राग को गुनगुनाने के लिए,रिश्तों की ज़रुरत होती है,
छोटी सी बात ये जान लो और इस दुर्गम पथ पर मुस्कराते चलो.
2 comments:
wow gr8
Thanks Rajni!!
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